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ये स्वयंसेवी संगठन सरकार को स्वास्थ्य शिविर लगाने, बुजुर्गों, विकलांग व्यक्तियों, बच्चों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और अन्य कमजोर समूहों को सेवाएं देने के लिए हॉटस्पॉट्स और डेपुटेशनर्स और केयर गिवर्स की पहचान करने, कोविड से जुड़ी जानकारियों को विभिन्न भाषाओं में प्रसारित करने की रणनीति विकसित करने में भी मदद कर रहे हैं।
इस समय सबसे बड़ी चिंता प्रवासी मजदूरों का सामूहिक पलायन है। ऐसे में गैर-सरकारी संगठन जिला प्रशासन और राज्य सरकारों के साथ मिलकर ऐसे मजदूरों के संगरोध और उपचार के उपाय करने के लिए सहयोग कर रहे हैं। अगले...
more... चरण में समूह नागरिक समाज संगठनों/गैर-सरकारी संगठनों को कोविड के खिलाफ लड़ाई में वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के काम में साथ जोड़ेगा।
3. आकांक्षी जिला कार्यक्रम: स्थानीय स्तर पर सामूहिक समाधान:
नीति आयोग द्वारा संचालित आकांक्षी जिले कार्यक्रम देश के 112 सबसे पिछड़े जिलों में लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में सफल रहा है। अब तक 112 आकांक्षी जिलों में कोविड संक्रमण के लगभग 610 मामले सामने आए हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण के दो प्रतिशत से भी कम हैं। इनमें से छह जिलों में 21 अप्रैल के बाद पहला मामला दर्ज किया गया है। बारामूला (62), नूंह (57), रांची (55), वाईएसआर (55), कुपवाड़ा (47) और जैसलमेर में 34 हैं, जोकि हॉटस्पाट हैं।
नीति आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि ये जिले वायरस के प्रसार को रोकने में सक्षम हो सकें और इसके लिए संबंधित जिलों में समूहों को परीक्षण किट, पीपीई और मास्क आदि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है।
(ब) आकांक्षी जिले कार्यक्रम में सहयोग मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक रहा है और इन साझेदारियों ने जिला प्रशासन को अलग शिविरों को नियंत्रित करने, नियंत्रण कक्ष, घर-घर जाकर खाद्य आपूर्ति स्थापित करने, पके हुए खाद्य पदार्थों के वितरण, घर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों को सक्षम करने में मदद की है और उन्हें लॉकडाउन अवधि के दौरान अपनी आजीविका चलाने के लिए मास्क, सैनिटाइज़र और पुन: उपयोग करने योग्य और स्टरलाइज़ सुरक्षात्मक गियर आदि बनाने में भी सहायता की है। उस्मानाबाद एक ऐसा जिला है जहां कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के तहत दी गई राशि का उपयोग करके एक कोविड जांच केंद्र स्थापित किया गया है।
(स) पीरामल फाउंडेशन द्वारा 25 जिलों में शुरू किए गए 'सुरक्षा दादा-दादी और नाना-नानी अभियान' कार्यक्रम का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों पर ध्यान केंद्रित करना है ताकि निवारक उपायों और अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन और दस्तावेज़ और भोजन, राशन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके।
(द) बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, ने नीति आयोग और अन्य विकास भागीदारों के साथ साझेदारी में कोविड से बचाव के लिए सभी सुरक्षात्मक सामग्रियों और नियमों के बारे में जागरूकता और जानकारी वाली सामग्रियां स्थानीय भाषाओं में तैयार की हैं। आकांक्षी जिलों के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेटों और कलेक्टरों से कहा गया है कि वे इंडियाफाइटकोविड डॉट कॉम पर उपलब्ध कराई गई इन सामग्रियों का आवश्यकतानुसार उपयोग कर लें।
4. अंतर्राष्ट्रीय संगठन: स्थानीय प्रयासों के लिए वैश्विक नेटवर्क का लाभ उठाना
मंत्री समूह ने संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों को साथ लाकर भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर, और डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनएफपीए, यूएनडीपी, आईएलओ के विभिन्न देशों में नियुक्त प्रमुखों तथा संयुक्त राष्ट्र महिला, यूएन-हैबिटेट, एफएओ, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के साथ गहन सहयोग के माध्यम से विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों के साथ समन्वय कर उन्हें समयबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना बनाने में सुविधा प्रदान की है। भारत में संयुक्त राष्ट्र ने एक संयुक्त प्रतिक्रिया योजना (JRP) तैयार की है, जिसे प्रमुख घटकों के रूप में रोकथाम, उपचार और आवश्यक आपूर्ति के साथ मंत्री समूह को प्रस्तुत किया गया है।
(अ) 15,300 प्रशिक्षकों का कौशल निर्माण, 3951 निगरानी/स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म पर प्रशिक्षण, 890 अस्पतालों में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण प्रशिक्षण, परीक्षण के लिए आईसीएमआर का समर्थन, जोखिम संचार और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सामुदायिक साझेदारी क्षमताओं को मजबूत करना, 2 लाख पीपीपी और 4 लाख एन-95 मास्क की खरीद और डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ द्वारा शुरू किए गए हैं।
(ब) यूएनडीपी 25 राज्यों के लिए वेंटिलेटर (मौजूदा अनुरोधों के अनुसार शुरू में 1000 इकाइयां, लेकिन संभावित मांग के अनुसार इसे बढ़ाया जा सकता है) सहित चिकित्सा आपूर्ति की खरीद में लगा हुआ है। इसके अलावा, मंत्री समूह द्वारा यूनिसेफ को 10,000 वेंटिलेटर और 10 मिलियन पीपीई किट का ऑर्डर दिया गया है।
(स) यह समूह इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ समन्वय कर रहा है और रेड क्रास सोसाइटी के 40,000 से अधिक स्वयंसेवक 500 से अधिक जिलों में काम कर रहे हैं, इसने 33 जगहों पर क्वारंटाइन/आइसोलेशन की सुविधाओं की व्यवस्था की है।
5. उद्योगों और स्टार्ट-अप के साथ सहयोग: लोकहित के लिए निजी क्षेत्र के प्रयास
अधिकार प्राप्त समूह और नीति आयोग स्वास्थ्य क्षेत्र की निगरानी और अनुरेखण के अलावा गैर स्वास्थ्य क्षेत्रों से समाधान के तरीके प्राप्त करने के साथ ही कोविड प्रबंधन उपायों को सुविधाजनक बनाने और इस संकट से निपटने के लिए निजी क्षेत्र की ताकत का लाभ उठाने, उद्योग और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के सामने उत्पन्न चुनौतियों को कम करने के अलावा समाधान, राहत और पुनर्वास उपायों के साथ ही राष्ट्रव्यापी जागरूकता फैलाने का काम भी कर रहे हैं।
इसने एमएसएमई, पर्यटन, विमानन, निर्यात और विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों सहित कई क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए निजी क्षेत्र और स्टार्टअप के साथ मंथन और सुझावों का रास्ता खोला है।
a). निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की भूमिका: निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मौजूदा संकट से लड़ने के लिए सरकार के साथ गहन सहयोग के लिए तैयार किया गया है और ये अपनी पूरी क्षमता के साथ इसमें जुडे हैं। निजी क्षेत्र की विनिर्माण कंपनियां तेजी से आगे आ रही हैं और अपने संयंत्र, मशीनरी और कुशल जनशक्ति का उपयोग बड़े पैमाने पर उपकरणों के निर्माण के लिए काम कर रही हैं। उदाहरण के लिए, सीआईआई ने बड़े पैमाने पर वेंटिलेटर के लिए ऑटोमोबाइल, मशीन टूल्स और रक्षा क्षेत्रों में उच्च अंत विनिर्माण कंपनियों का एक गठबंधन शुरू किया है। यह विभिन्न वर्गीकरणों के वेंटिलेटरों की सूची को बढ़ाने के लिए है क्योंकि मौजूदा निर्माताओं द्वारा वेंटिलेटर निर्माण की क्षमता कम है और वेंटिलेटरों का आयात बाधित है। भारत की निर्माण कंपनियां जैसे टाटा, महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारत फोर्ज, मारुति सुजुकी, अशोक लीलैंड, हीरो मोटोकॉर्प, गोदरेज एंड बोयस, सुंदरम फास्टनर्स, वालचंदनगर, ग्रासिम, हुंडई, वोक्सवैगन, कमिंस आदि बड़ी मात्रा में वेंटिलेटर बनाने के लिए आगे आई हैं। कुछ ने पहले ही उत्पादन शुरू कर दिया था।
b) राहत और पुनर्वास में गैर-स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रयास: समूह ने सीआईआई, फिक्की और नैसकॉम जैसे उद्योग संगठनों को राज्य और स्थानीय स्तर पर स्थानीय प्रशासन के साथ राहत कार्यों में समन्वय बनाने के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
1. सीआईआई
(i) 50 लाख में से 28 लाख लोग सीआईआई की प्रतिक्रिया पहल से लाभान्वित हुए हैं।
(ii) 13 लाख मास्क, 7.5 लाख दस्ताने, 20,880 पीपीई और 26.8 लाख सैनिटाइजर/साबुन सहित 47 लाख स्वच्छता सामग्री गरीब लोगों, पुलिसकर्मियों और चिकित्साकर्मियों के बीच वितरित की गई है।
(iii) 20 लाख से अधिक लोग- जिनमें दिहाड़ी मजदूर, प्रवासी श्रमिक, विकलांग व्यक्ति, सीमांत किसान, बुजुर्ग, बच्चे, महिला श्रमिक और खानाबदोश जनजातियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है। 11.75 लाख पके हुए भोजन, और 12.5 लाख राशन किट और 1,650 मीट्रिक टन खाद्यान्न जरूरतमंदों को दिया गया है। कई शहरों में सामुदायिक रसोई चलाने में मदद दी गई है।
(iv) सीआईआई फाउंडेशन ने पंजाब और हरियाणा के छह जिलों के 150 गांवों में जागरूकता अभियान और राहत कार्य चलाया है, जिसमें 8,000 से अधिक खेतिहर मजदूरों और सीमांत किसानों के परिवारों को राशन और स्वच्छता किट देने की व्यवस्था की गई है।
(v) सीआईआईएफ वीमेन एक्जम्पलर नेटवर्क ने यूपी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र में हाशिये के समुदायों के 7,400 परिवारों के बीच राशन किट का वितरण किया है।